कैंसर से भी घातक है ये बीमारी, एक साल में एक करोड़ से अधिक मौतें
सेहतराग टीम
हाल ही में आयी एक रिपोर्ट के अनुसार एक खास बीमारी सेप्सिस से हर साल दुनिया में 11 मिलियन यानी 1 करोड़ 10 लाख सेे ज्यादा लोग मर रहे हैं। यह दावा वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया है। वाशिंगटन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा कि कैंसर से ज्यादा लोग इस बीमारी से मर रहे हैं और यह आंकड़ा पिछले सालों में दो गुना हो गया है। शोधकर्ताओं के अनुसार ज्यादातर मामले गरीब और मध्यम आय वाले देशों मेें हो रहे हैं लेकिन कुछ धनी देश भी इससे निबट रहे हैं।
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सेप्सिस क्या है?
सेप्सिस को छिपी मौत की संज्ञा दी गई है क्योंकि शरीर में इसका पता लगाना काफी कठिन है। जब आपका शरीर जीवाणु संक्रमण के लिए तेज प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया करता है तब संक्रमण से लड़ने के लिए रक्त में संचारित रसायन की वजह से भयानक सूजन हो जाती है। इसकी वजह से रक्त के थक्के बनते हैं और रक्त वाहिकाओं से रिसाव होने लगता है। इससे रक्त संचार खराब हो जाता है, और आपके शरीर के अंगों को पर्याप्त पोषक तत्व और ऑक्सीजन नहीं मिलते हैं। इसके कारण धीरे-धीरे शरीर केे अंग काम करना बंद कर देते हैंं और विकलांग भी हो सकते हैं। बैक्टीरिया और वायरस जो डायरियल संक्रमण या फेफड़ों के रोगों का कारण बनते हैं वो सेप्सिस के प्रमुख कारण होते हैं।
इसके मामले क्यों बढ़ रहे हैं:
पिछले अनुमानों को देखें तो दुनिया में इसके 19 मिलियन मामले आए जिसमें 5 मिलियन मौतों के आंकड़े थे। ये आंकड़ेे मुट्ठी भर पश्चिमी देशों के थे।
वहीं दुनिया के प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल लैंसेट में प्रकाशित 195 देशों के मेडिकल रिकॉर्ड के आधार पर प्रकाशित विश्लेषण से पता चलता है कि सालभर में सेप्सिस के 49 मिलियन यानी करीब चार करोड़ 90 लाख मामले सामने आते हैं। सेप्सिस से दुनिया भर में हुई 11 मिलियन मौत का अर्थ है कि इसके हर पांच में सेे एक रोगी की मौत हो गई।
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी की सहायक प्रोफेसर क्रिस्टीना रुड जिन्होंने इसपर काम किया है, उन्होंने कहा कि उन्होंनें युगांडा के ग्रामीण इलाकों में काम किया है और सेप्सिस क्या है, उसे हर दिन भोगा है। सेप्सिस एक बड़ी समस्या है। इसलिए वो इतनी हैरान नहीं हैं लेकिन उम्मीद नहीं थी कि इसका आंंकड़ा दोगुना हो जाएगा। इस विश्लेषण में अच्छी खबर यह है कि 1990 के बाद से इसके मामलों और मौतों में गिरावट आई है।
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कौन प्रभावित है?
सेप्सिस के सबसे ज्यादा मामले ( 80 फीसदी) निम्न और मध्यम आय देशों में हैं। पांच साल से कम उम्र के बच्चों में 10 मामलों में चार बच्चों को खतरा था। लेकिन ब्रिटेन में भी सेप्सिस एक चुनौती है जहां मृत्यु दर स्पेन, फ्रांस और कनाडा जैसे देशों की तुलना में अधिक है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ब्रिटेन में हर साल सेप्सिस से करीब 48,000 मौतें होती हैं। सेप्सिस के संकेतों को अधिक तेजी से पहचानने और उपचार शुरू करने के लिए स्वास्थ्य सेवा को कुशल बनाया जा रहा है।
सेप्सिस के लक्षण क्या हैं?
वयस्कों में-
गलत तरीके से बात करना।
ज्यादा कंपकपी होना और मांसपेशियों में दर्द
दिन में बार-बार पेशाब आना।
सांस लेने में दिक्कत होना।
दिल का तेज गति से धड़कना और शरीर का तापमान ज्यादा या कम होना।
त्वचा का रंग हल्का होना और रूखा हो जाना।
बच्चों में-
विचित्र, नीला या पीला दिखना।
अधिक सुस्ती आना।
छूने पर सामान्य से अधिक ठंडा महसूस होना।
बहुत तेज सांस लेना
लाल चकत्ते होना जो दबाने पर खत्म नहीं होते हैं।
कब्ज या ऐंठन।
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